Saturday, 27 December 2014

मै झूठ बोल रहा हूँ


नमस्कार दोस्तों

मै झूठ बोल रहा हूँ।कई लोग हैरान होंगे की अभी तो इसने बोलना भी शुरू नहीं किया और बोल रहा हे झूठ बोल रहा हूँ।अरे भाई, मै writer नहीं बोल रहा हूँ, मै सच में झूठ हूँ, और झूठ ही बोल रहा हूँ, कृप्या इसे सच समझ ने की गलती न करे,वरना सच को तकलीफ होगी।मै वही झूठ बोल रहा हूँ जो सरकार आपसे अपने manifesto में बोलती हे,वही झूठ जो हर रोज आप अपने बॉस से, और बॉस आपकी increment को लेकर आपसे बोलता हे,।मै वही झूठ हूँ, जो पति अपनी पत्नी से,बंदा अपनी बंदी से,गन्जा अपनी कंघी से,दलाल अपनी वफ़ादारी से, जीजा अपनी शाली से, डॉक्टर अपने रोगी से, बाबा अपने भोगी से,नेता अपने चमचो से, बोलता हे, ।मै वही हूँ, जिसने आपकी जबान को अपना घर बना रखा है,आपके दिल और दिमाग को मैला कर रखा है,आपको खुद से ही चौकना कर रखा है ,जिसको बोले बिना आपका खाना हजम नहीं होता,दिल को सुकून नहीं मिलता और मुँह को चैन नहीं मिलता।



चलो परिचय बहुत हुआ अब मुददे पे आते है,अभी पिछले दिनों मै एक five star होटल में बेठकर अपने stats चेक कर रहा था,देख रहा था की कितने लोग मुझसे जुड़े,और मुझे यह  जानकर और भी ख़ुशी हुई, की 3-4 साल के बच्चे जिन्होंने अभी बोलना शुरू ही किया था वो भी मुझे follow कर रहे है।मेरे follower और मुझे श्रद्धा भाव अर्पित करने वालो की गिनती अरबो में पहुँच गयी है,और जबसे यह fb,twitter,whatsapp जैसे लोग मेरे साथ जुड़े है,मेरे व्यपार में दिन दोगाने,रात चौगनी बढ़ोतरी हुई हे, और हो भी क्यों नहीं , सरकार अपनी है, सरकार में लोग अपने हे,समाज अपना है ,समाज में लोग अपने हे,दिल अपना हे,हर जबान अपनी हे,तो हमारी company की progress तो बनती हे साहब,।।



अभी पिछले दिनों हमने अपनी कंपनी की tagline निकली एक वीडियो के साथ ,जिसको utube पे लाखो लोगो ने view और like किया।हमारी tagline थी"किसी झूठ से अगर किसी को फायदा होता हे,तो वो झूठ नहीं सच हे,और साहब आपका हर झूठ आपकी भलाई के लिए ही होता हे, वरना आप बिना बात के झूठे कहलाना थोड़े ही पसंद करोगे, तो चालू रखो अपनी भलाई की सप्लाई हमारे नेटवर्क के साथ।।।
कई नादान परिन्दे मुझसे अक्सर पूछ लेते हे, की झूठ भाई , आप आज कल नज़र नहीं आते , क्या बात हे? मै सीधा सीधा जबाब देता की मेरी औकात बढ़ गयी हे,आज कल मै फाइव स्टार होटल के ac वाले कमरो में मिलता हूँ, और रही बात मुझको देखने की, तो जो आप serial, या प्रोग्राम देखते हो, वो क्या हे,। उस पुरे प्रोग्राम में ,मै ही तो मै हूँ,और उन प्रोडक्ट में भी जो आपको सुन्दर बनाने की,बालो पे jungle उगाने की,muscle बनाने की,ताकत दिलाने की,हर प्रॉब्लम से बचने की guarntee देते हे। हाँ कुछ kinley वालो जैसे प्रचार भी होते हे,जो सच बोलने को बढ़ावा देते हे,जो अपने प्रचार से सच बोलने को बढ़ावा देते हे,उस सच को जो आज से कुछ सालो पहले तक मेरा बड़ा भाई हुआ करता था,पर आज cancer से लड़ रहा हे,उस सरकरी हॉस्पिटल में जिसकी लापरवाही को वो खुद सबके सामने लाया था, मुझे वो प्रचार बिलकुल पसंद नहीं जो,अच्छाई फेलाते हे,प्यार का सबक दे जाते हे,दिल को छू जाते हे,।।दर्द होता हे,नफरत होती हे क्योंकि हर एक अच्छा शब्द कइयो को जोड़ देता हे, जिससे मेरी कंपनी के दाम गिर जाते हे।
और आज हम सर्कार से मांग करते हे,की ऎसे प्रोग्राम को बंद करना चाहिए,आखिर लोग झूठ बोलना चाहते हे,सच बोलने वाली चीज़े उन्हें भर्मित कर सकती हे,और अगर सर्कार ने हमारी मांगो को नहीं माना, जो हम धरना करेगे जी,जंतर मंतर पे,हमारी अव्वाज़ को आप दबा नहीं सकते जी,।।


अंत में एक शेर
इस खुदकर्ज़ दुनिया में थोडा खुदगर्ज तू भी हो जा
वर्ना यह दुनिया
तुझे खुदी से जीने नहीं देगी


धन्यबाद दोस्तों,
फिर मिलेंगे

Tuesday, 23 December 2014

Difference in spoken word and action


जबसे तेरी कथनी और करनी में फर्क दिखने लगा ।
तबसे तेरे अच्छे कामो में भी मुझको शक होने लगा ।
और नहीं जानता, यह तेरी गलती हे या मेरी
पर तेरी बातो का असर ,अब काम होने लगा ।।।।

औकात


कल तक जो हमारी औकात पूछते थे
आज अपने आस्तित्व को लड़ते हे
फर्क उनमे और हममे सिर्फ ही था
वो ढीगे हाकते थे
हम कर के दिखाते हे।।।।

Thursday, 11 December 2014

Happy New year


Hello guys, 
Now,the time has come to greet all you guys "A Happy New Year" in advance because this is the right time to say this to all of my friends,colleagues of my virtual world.
Thanks for supporting me and showing a love toward my blog.I am very grateful to you,from the core of my heart.
The question arises Why happy new year now? The answer is this is my last blog of this year and will meet you guys in the new year.fortunately , the title over which I am going to write is 10 things, you want to dump this year.
the term dump is seems to be negative one, so let's us change the topic by saying " what 10 new thing you want do  this year.The purpose of writing resolution now is that I have to prepare myself or make myself ready for the changes both physically and mentally,because the  changes are painful and unacceptable .
The list of 10 new things which I want to do this year is---------

1.decision taking process:-I m always in deleema and uncapable of taking quick and right decision and that's the reason my most of the work remain pending. The biggest obstacle in my progress  is my uncapabilty in taking decision.


2.use commute time:- in college life ,one has plenty of time to  .some use it and some person like me just waste it. This is my pledge of using my time productively and effectively from now.


3.working on my physical appearance:- first impression is the last impression and the first impression is of ur body gesture . I have to work on this.


4.Good hold on both the language :- I know I can write far better than what I write now but the problem arises is my weak vocalubary and I have to strong it.


5.improving my handwriting:- by seeing my handwriting people always says if there is a Nobel prize for bad handwriting , u definetly get it. How shameful it for me...but I m working on it and damn sure that he(my handwriting) will get well soon.


6.study hard:- yesterday, I got my internal marks, it is quite shameful to see this.this is all due to my careless nature toward my studies. I have to focus on it hardly.


7.follow my time table:- I make time table every days this statement proves my intention toward my nature of following my time table.what say next


8.making good friends:- I m very choosey in making friends and that's the reason I have only few friends .I have to make my circle large.


9.spending some time with my family :- this is all what I can do to make my family a little happy than what they are.

10.living my childhood again :- now a days, I m feeling little stress full that's why u have to live my childhood again. Don't misinterrupt it. I just want to play , laugh loudly ,sing loudly and feel the beauty of nature.


This is all what I have to do this year. May this year bring prosperity&,happiness in my life and to ur also.


And at the end,
Happy new year

Wednesday, 10 December 2014

Daily pics



These are the daily pics of my newly born cousin.

तेरे चेहरे से नज़र नहीं हटती, नाज़रे हम क्या देखे
तुझसे मिल के भी प्यास नहीं बुझती,
नाज़रे हम क्या देखे।
यह सिर्फ हिट फ़िल्म की लाइने नहीं है, बल्कि आज  यह यह लाइने हकीकत तब बन गयी, जब आज मै पहली बार अपने नन्हे भाई से मिला।इस खूबसूरत , प्यारी और अदभुत दुनिया  को और भी प्यारी और खूबसूरत बनाने के लिए वो इस दुनिया में तो 6 महीने पहले ही आ गया था, पर मेरी दुनिया में उसका गृह प्रवेश आज हुआ था,  आज काफी अरसे बाद हमारी दौड़ती हुई जिंदगी ठहर गयी थी, सब के चेहरे पे एक मुस्कान थी, सब में एक होड़ लगी थी उसको प्यार करनी की, उसको खिलने की, अपने हाथो के बने झूले में उसको खिलने की, और जो मेरी तरह थे , वो इस जल्दी में थी की कितने जल्दी इसके साथ सेल्फ़ी खीज के fb पे अपडेट किया जाये, उस अकेले ने आज मेरे पुरे परिवार को एक धागे में बाँध दिया था। सब आज खुल के हँस रहे थे , अपने बचपन की यादो को ताज़ा कर रहे थे, या यह कहा जाये की उसके  सहारे अपने बचपन को जी रहे थे, तो कुछ भी अतिसोक्ति नहीं होगी, नाम उसका अभी तक नहीं पड़ा था पर आज गुमनामी की मै जी रहा था, सभी उसको प्यार करने में लगे थे और मै अकेला अपनी बारी का इंतिज़ार कर रहा था,एक अजीब  सा तेज था उसमे , जिसके बारे में लिख पाना मुमकिन नहीं पर हां उसको देखते ही एक तस्वीर जरूर बन गयी है मन में, उसको खिलाने में तो खूब माज़ा आता है पर एक डर लगा रहता है की कही सुसु न कर दे, वर्ना बदनामी हो जाती हे,।


आज कल मेरे मन ने ख्याल खूब आते हे पर शब्द् कम पढ़ जाते हे लिखने को, लिखुगा कभी उसके बारे में खुल कर, पर अभी नहीं क्योंकि वक़्त नहीं मिलता उससे....

.थैंक गॉड फॉर सुच अ नीइस गिफ्ट।

Friday, 5 December 2014

Smile please

सुना हे,की आज कल मेरे घर पे चप्पलो का ढेर काफी है

चलो पता तो चला, की मेरी कविताओ का ख़ौफ़ बाकि है

और जब जब गलियों से निकलू मै

,सन्नाटा छा जाता हे ,कोई नजर नहीं आता है

, कुत्ते भी दुबक जाते हे, पत्ते खुद से लिपट जाते हे, 

हवाए रुख बदल लेती हे, घटाए सूरज को ढ़क लेती हे,

घड़ियां भी सुन हो जाती हे , चिड़िया पतंग हो जाती हे
,
मंजर भूतिया हो जाता हे,और भूत भी डर कर हनुमान चालीसा गाता हे,

और शायद उन्हें डर इस बात का हे,की कही उनकी आवाज़ों को अपनी वाह वाही ना कह दू,

उन्हें अपनी अगली कविता का शिकार न कर दू



और सुना हे,की आज कल शहरो में दंगे नहीं होते हे

क्योंकि वो(दंगाई)गालियो की जगह मेरी कविताये ही तो कहते हे

और सुनकर मेरी कविताये ,वो इस हालत में ही नहीं रहते की कुछ कर पाये

शुक्र हो खुदा का जो अस्पतालों में जगह पाये

वरना मेरे शिकार को तो पानी भी नसीब न हो पाये

और कब्र में दुबारा मर दिए जाए,गलती से जो मेरी कविता गुनगुनाये

मेरी कविताओ पे सबने आपत्ति जाता रखी हे

मुझ बेचारे पर अकेले धारा 144लगा रखी हे

और सरकारे भी आजकल मुझ से ख़ौफ़ खाती हे

वपक्षि पार्टीया रैली को फ्लॉप करने के लिए चंदा दे जाती हे

मुझे देखते ही सावधानी हटी,दुर्घटना घटी के नारे बुलंद होते हे

मेरे उपचार के सारे दावे विफल होते हे ,
सारे दावे विफल होते हे

                              To be cont.

Thursday, 4 December 2014

Meri virtual duniya


जब जब इस जालिम दुनिया ने मुझे तन्हा किया

तब तब,  अपनी तन्हाइयो संग  मैने इक नयी दुनिया बसा ली।

जहाँ सिर्फ मै हूँ, मै हूँ और सिर्फ मै हूँ

जब मुस्कुराना चाहता हूँ,तो यादो का मुख मोड़ लेता हूँ

और जब मुरझाना चाहता हूँ, तो कल की सोच लेता हूँ

खुश हूँ या दुखी हूँ,नहीं जानता

पर तसल्ली इस बात की है,क़ि जहाँ हूँ, अकेला नहीं हूँ मै

मेरे संग मेरी रुस्वाईया,तन्हाईया,यादेँ सब है, नहीं हे तो बस तू,सिर्फ तू।

क्योंकि इक तू ही तो है जिसने मुझे ख़ुदग़र्ज़ बनाया

मेरे हर एमोशन्स (emotion) को smiley से समझाया

....तू ही तो हे जिसने व्यर्थ की बातो से मुझको उलझाया

अरे!तू ही तो हे जिसने मुझे इस सच्ची दुनिया का सच्चा इन्शान बनाया।

ताब्दील्या बहुत हे आई तुझसे मिलने के बाद

पहले रोता था, अब मुस्कुराता हूँ, बिछड़ने के बाद

पहले जो था, सो था ,अब  चहेरे बदलता हूँ, हरेक से मिलने के बाद

मदत ,मदत तो मै पहले भी करता था ,गरेओ की,

बस अब नाम याद रखता हूँ मद्त करने के बाद।।।।।।

Wednesday, 3 December 2014

Some times, its happen to me


      अक्सर लोग  मुझसे रूढ़ जाते हे
      दिल में पलते हर इक जज़्बात टूट जाते हे
    और ,ना जाने क्यों ,मेरी हालातो से बेख़बर होकर वो
      मुझसे बीछड़ने का जशन मनाते हे।।

Saturday, 29 November 2014

My role toward clean India

आज से करीब 1साल पहले हम कुछ दोस्त मिले , सभी अपने अपने कॉलेज को ज्वाइन करने ही वाले थे, और हँसी माज़क के इस दौर के बीज मेने उन लोगों से कहा "चल भाई , अपनी एक सोसाइटी या ngo बनाते हे, क्योंकि कॉलेज में वक़्त काफी होता हे, और कॉलेज से निकलने के बात सभी अपनी लाइफ सेट करने में लग जाते हे, और फिर सामाज को उतना वक़्त नहीं दे पाते, और कुछ न हो, social network को बन ही जाएगा, सब मान गए, और discussion next round के लिए छोड़ दिया, अगली बार जब हम मिले तो दो दोस्त कम थे,  और आते ही उन्होंने मुझ पर सवालो के तीर छोड़ दिए जो की जायज थे , फिर बात करनी सुरु की तो डिफरेंट डिफरेंट views आये, उन में से एक था, lets क्लीन the city, उसका कहना था की हम कुछ areas को सेलेक्ट करते हे, और फिर वहाँ पर सफाई करके symbolic message देगे, plan was good, but समझ सकते हो, की एक अच्छे background से आने के वजह से हमको यह काम पसंद नहीं आया, दोस्तों ने उसका काफी माजक उड़ाया, it must be a joke apart for us, but it convey a strong message that in India there is no dignity of labour , आज़ादी के 67 साल बात भी हमारा नाजरिया नहीं बदला हे, उसके बात हम कभी नहीं मिले, वो अपने रास्ते, में अपने ।
आज से चंद रोज़ पहले उनका फोन आया, कहा की मिलाना चाहते हे, सोचा एक साल हो गए थे, ऎसे ही मिलाना चाहते होंगे पर उस समय मै लखनऊ में था ,  वहाँ मै एक ngo ("amrit foundation" ) के प्रोग्राम (clean and decent india) का गवाह बना,लोगो का रिस्पांस काफी अच्छा था उस प्रोग्राम को लेकर, मै अक्सर उनके awareness program में कविताए सुनाता था, जिसकी कुछ लाइन यु हे............................
आवाज़ उठी हे जन जन से अब धूल(गन्दगी) नहीं रहने देगे
अब और गरल अपमानों का , हम खुद नहीं पीने देगे
बदलाव जिंदगी में कुछ लाकर ,
ऐसा कुछ कर जाएगे, मान करेगी दुनिया सारी,
आदर्श इस्तापित कर जाएगे।।।।।
delhi आकर उन दोस्तों से मिला तो पता चला की वो लोग भी मेरी तरह pradan mantri के swaach bharat से काफी inspired हे और इस दिशा में कुछ करना चाहते हे, एक एरिया select किया गया, पहले एरिया उत्तम नगर ही था, पर हम उत्तम नगर से थोडा अनजान थे, इसलिए humane कुछ सामाजिक लोगो से मदत लेनी चाही, rahi जी, वेणु जी, रमन जी और ऎसे ही कुछ चुन्दीदा लोगो ने हमारी मदत की, हम सुरुआत में ही उनके सुकरकुजर हे, फिर उनके साथ साथ हम  पुरे उत्तम नगर घुमे,
पर तस्वीर हैरान कर देने वाली थी, जगह जगह कूड़े के ढेर, देखने को मिलते थे ,  ऐसा नहीं हे सारी जगह गन्दी थी, कुछ जगह साफ़ भी थी, गन्दी जगहों का नाम ले तो सबसे पहले नाम आता हे, विपिन गार्डन के कुछ areas का, फिर ओम विहार (आर्यन स्कूल से just आगे) और बालाजी चौक, ओम विहार फेज 5 , और बिंदापुर के क्या कहने, यहाँ के तो कई इल्लाके ऎसे हे जगह मुझे नहीं लगता की पिछले 5 साल में वहाँ कोई आया होगा, और जबकि यहाँ उस पार्टी का निगम prasad हे जिसका चुनाव symbol ही झाड़ू  हे,,  और भी कई इलाके हे नन्द राम पार्क etc।
humane कुछ कॉउंसिल्लेरो से बात तो की पर उनमे से कुछ ने कहा के यह unauthorised colony हे, इनका कुछ नहीं ही सकता और कुछ ने कहा हो जाऐगा।। पर एक चीज़ samaj में जरूर आई ही ऊपर जितना अच्छा काम हो रहा हे, lower लेवल पर मजाक की istiti हे. इस नेक काम का कुछ लोगो ने मजाक बना कर रख दिया हे, सोचने की जरुरत हे, मै यह नहीं कहता की लोगो में बादलव नहीं आया हे, आया हे जरूर आया हे, और अच्छा बदलाव आया हे, पर सक हे ..इस मकसद के पूरा होने में........... और मै दिल से चाहता हु की मेरा यह सक गलत निकले और इस मकसद को कामियाबी मिले और हमारे देश का नाम रोशन हो
एक किस्सा सुनाता हूँ, मेरा एक दोस्त हे, विराट जो अपने लंच में अक्सर फल लाता हे, करीब एक साल पहले जब उसके साथ आता था वो अपना कूड़ा सड़क पर फेक देता था पर आज वो कुछ बदला बदला सा लग रहा था क्योंकि आज वो अपना छिलका अपने बैग में रख रहा था, कारन पूछा तो  उसने मुठी बंद करते हुए बोला swaach भारत अभियान, एक अजीब सा विश्वास था उसके अंदर, मै authorities से कहने चाहुंगा की प्लीज इनके विस्वास को मत टूटने देना, क्योंकि विश्वास एक बार होता हे, बार बार नहीं, (मै कुछ images डाल रहा हूं गन्दी जगहों की बाकि बाद में डालूँगा,)
एक बात और , dustbin की व्यवस्था होना बहुत जरुरी हे,  प्लीज authorities इस पर ध्यान दे , इस उम्मीद के साथ भारत स्वच्छ हो, स्वस्थ हो,मै विवेक द्विवेदी आपको एक नेक उम्मीद के साथ छोड़े जा रहा हु.,.............................................
जय हिन्द 


This blog is written for the compiagn http://www.abmontubolega.com/ this campaign is a nice one and this campaign is going to be an eye opener for the authorities . the image that is posted is by camera aur you can say that its real photo not driven by net

Wednesday, 26 November 2014

आज से पहले

मै आज अपनी झूलती हुई कुर्सी पर बेठा ,मंद हवा के चादर से लिपटा हुआ , चाय की सुसकियो के बीच ढलतेे सूरज को नीहार रहा था । एक आजीब सा तेज,आजीब सा आकर्सण था उसकी लालिमा में जो मुझे खुद से दूर ,कही दूर ले जा रहा था और उसको देखते देखते मै कब अतीत के पन्नों में समां गया ,पता ही नहीं चला।कोन कहता हे की वक़्त के सफ़र के लिए टाइम मशीन चाहिए,आपकी सोच ही काफी है ............................................................................ .  .  ..  .  .....................................मेरे वो ख्वाब मुझे मेरी जिंदगी के 18वे आध्ये में ले गए जहाँ से मेने सही मायनो में अपने बचपन की सुरुआत की थी। शायद  यह पहल इसलिए थी ताकि मै अपने बचपन को देख सकु ,मासूस कर सकु ,और जी सकु जिसे मेने आज की जिंदगी मे पूरी तरह नकार दिया है।।।
.......
.....
...................................
आज के मुकाबले में बचपन में मै  काफी मोटा ताज़ा था और काफी लाडला भी था-( अपने घर में और पाड़ोस में भी )( सायद इसलिए क्योंकि वो गाँव था जहाँ अगर एक को चोट लगती थी तो दूसरे को भी दर्द होता था और अगर आपने गाँव नहीं देखा तो अपने भारत को नहीं देखा, गाँव में पालने वाले प्यार को नहीं देखा तो अपने सच्चे प्यार की परिभासा को नहीं समझा,वहाँ प्यार हे ,दर्द हे और तो और वहाँ के हर जीज में एक आजीब से महक के जो आपके अंदर एक भाव पैदा करती है,लागव पैदा करती हे, मिलने और बिछडने का आह्सास पैदा करती है)
कभी कभी तो लोग मुझे सररतो का पुलुन्दा भी कहते थे और ढेरो शिकायते मेरी घर पर आती थी पर डॉट कभी नहीं पड़ती थी क्योंकि मै अपने घर में कम दुसरो के घर में ज़्यादा रहता था........मै सुबह तीन बजे उठ जाता था क्योंकि उस वक़्त मेरे दादा जी भैस सा दूध निकलते थे , और मुझे कच्चा दूध पीने में बड़ा मज़ा आता था,क्योंकि उसको पीने के बात जो सफ़ेद मुछे बनती थी उनको लेकर मै पुरे घर में घुमा करता था फिर नाहा धोकर ,पूजा करने के बात में दादी के पीछे लग जाता था ताकि मुझे दही और मलाई मिल जाये,इस बात का लोग बहुत फायदा उठाते थे, मतलब की जब तक मुझे सामान नहीं मिलता मेरी सररतो पर पाबन्दी लग जाती थी पर वो कुछ देर की होती थी , मुझे एक खेल काफी पसंद था, वो था भैसो को छेड़ना, मै भैसों की तरफ जाता ,वो मुझे मारने जे लिए आगे बढती और मै पीछे भाग जाता और ऐसा करने पर में खूब हँसता, आम के पेड़ के नीचे बैठकर घंटो आम गिरने का इंतज़ार करता और ऎसे ही करते हुए मेरा बचपन बीतता गया जब उन लोगो ने मेरा एडमिशन गाव के स्कूल में करा दिया ,जहाँ से निकलने में लोग अक्सर डरा करते थे क्योंकि वो स्कूल एक बाग़ में था और बच्चे तो वैसे भी शैतान का रूप होते हे,वहां पढ़ाई कम भूतिया खेल जयादा होता था और जब छुटटी होती थी तो पुरे गाव को पता चल जाता था की तुफानो का आतंक आ गया ह , वहाँ मेरी पढ़ाई नहीं हो पायी इसलिए मुझे घर से दूर वाले स्कूल में नाम लिखवाया गया, पर मै स्कूल जाने वाले वक़्त घर पर मिलता ही नहीं था और कभी गलती से पकड़ में आ भी जाऊ तो आधे रस्ते से भाग आता था पर सायद वो मेरी गलती थी क्योंकि उसी ने मुझे मेरे दादा दादी से अलग कर दिया और फिर राह चुनी गयी देल्ही की, एडमिशन हुआ अनजान सहर था ,इसलिए साररते काफी काम होगयी, पर धीरे धीरे दोस्त बनाने लगे और सरारत फिर चालू, उस समय एक सीरियल आता था शक्तिमान, हम उसके खूब एक्टिंग करते थे और जैसे ही मेने 5वि पास की मेरी जिंदगी ने एक रफ़्तार पकड़ ली और फिर जा कर रुकी 12वि में, जब मुझे iit jee का चस्का लगा  उस साल काफी acha रिजल्ट आया-board 86 परसेंट एंड jee में 68000 रैंक पर चॉइस फिलिंग की एक गलती ने मुझे ड्राप करने पर मजबूर कर दिया  और उसी साल    (विनास काले विपरित बुद्धि, )मेने आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली , जिसे मै अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती मानता हु (उसकी कहानी बात में सुनाऊँगा, ) फिलहाल तो मै एक एवरेज कॉलेज से मेकैनिकल eng क्र रहा हु । कॉलेज की मस्ती के बारे में सोच ही रहा था की मछरो की भिनभिनाहट ने मेरी आँखे खोल दी-यह सा** मछर चैन से जीने भी नहीं देते, कमीने साले। कितना अच्छा सपना देख रहा था, सब मिट गया। कुर्सी से उठा , पूरी रात हो चुकी थी, काफी वक़्त लगा दिया।।। अभी तो अस्सीगणमेंय भी कम्पलीट करना हे और पेपर भी आ रहे हे वो भी तैयार करना हे....................
(( www.parivartanthechange.blogspot.com guys this is my blog , this is not as much as good as other, BT it is in progress.)

Message ---मेरा बस इतना कहना हे की इन्शान को अपनी जिंदगी के कुछ पल गाव में जरूर बीतने चाहिए।।।।।।।।।।।।।।।

Friday, 21 November 2014

राहे

हर राह को मै चाहू, हर मंजिल मुझको भाती है
मेरी कोई दिशा नहीं, सिर्फ हवा मुझे बहलाती है
प्रवाह जिधर भी तेज हुआ ,ते उधर निकल लेता हु मै
मांग जिधर भी तेज हुई, ते उधर खिसक लेता हु मै
मेरी आँखों के सपने हर पल पल पल पल बदले है
मेरे खवाबो के परिंदे ,आसमान में भटके हे
जाने की कोई राह नहीं ,बस आस लगाए बैठे हे
मन की बत्ती को बजाए ,जुगनू पे तो तरसे हे



काश काश के मंत्रो को मै  अब तक जबते आया हु
भेड़ चल के सम्मोहन से मै  खुद ना बच पाया हु
राह चुनी मेने ओ साहब जिसने मुझे मजबूर बनाया
अपने हाथो अपनी खुशियो का ही  मेने गला दबाया
काश तवज्जो दी होती मेने ही खुद की बातो को
तस्वीर अलग होगी मेरी सपनो की रातो को
नींद सुकून की मुझको आती साडी दुनिया मुझको भाती
जेब भले  ही छोटी   होती , सोच बड़ी तब रखता मै
अपनी राहे , अपनी मंज़िल खुद तभी तो बुनता मै।

मै ,आज



बेचैन दिल  मेरा कुछ करने को चाहता है
पर क्या करू यह समझ नहीं आता हे
उठा पटक  का आया कुछ ऐसा मंज़र हे
मेरी आँखे आज आसुओ  समंदर है
रह रह कर   मेरी पुरानी यादे मुझको कसोटती हे
ईर्षा ,निंदा और घृाड़ा के बीच मुझमे पिरोती हे 

थक गया हु मै ,,ऐसी जिंदगी जीते जीते 
जहा व्यर्थ की पुकार हे ,,भावनाओ का व्यापर हे 
और डर डर  का भंडार है 
जहा हर वक़्त पुरानी सोच नए मुददो पर हावी होती हे 
जहा हर समय दिल और दिमाग़ में जंग छिड़ी होती हे 
जहा वक़्त से ज्यादा हम खवाबो में जीते हे ,,,
सच की परिभासा से भी डरते हे 
कुछ करना न पड़े ,,,इसलिए सपनो के आँगन में सोते हे 
जहा दिमाग को भट्टी बनाकर ,,बोली में आग भरते हे 
जहा  अरमानो की धुंद  से ,, मकसद को पर रखते हे 
कहते तो बहुत हे ,,,की हिम्मत और हौसले से सब मिलता हे 
पर राहे  अगर भटकी हो तो अँधेरा ही दिखता है। 

क़ुर्बानी






यह वक़्त की नजाकत है ,,, या मेरे कर्मो का पाप
जिस जीज को चाहू मै वो साली दूर चली जाती है 
इसलिये तो तुझे कभी नहीं कहा मेने अपना 
तू रुस्वा ही सही पर पास तो रहती हे। 

Saturday, 8 November 2014

स्वच्छ भारत अभियान





आवाज़ उठी है जन जन से
अब धूल [गन्दगी ] नहीं रहने देँगे
अब और गरल अपमानों का हम खुद नहीं सहने देंगे
बदलाव जिंदगी में कुछ लाकर ऐसा कुछ कर जाएगे
मान करेगी दुनिया सारी आदर्श इस्थापित कर जाएगे

अधूरा- सच


यू तो बात करते हे सभी अपने आदर्शो  कि
मगर पूरी  नहीं होती जब भी बात हो सच्ची
जाने  किन खयालो में यो रहते हे खुदा जाने
तमना हर किसी कि हर समय पूरी नहीं होती। ……………………


न सोचा था  कभी एक दिन की मौसम भी आएगा 
कूड़े के यू ढेरो से कोई रोटी चुराएगा 
वजह से जिनकी  जिंदगी आबाद हे इस ज़माने में [किसान ]
यही देखो सबक हमको जीवन अंत सीखते है


जिसे चाहा ,,जिसे पूजा वही  तो बेवफा निकला
सहीदो  कि शहादत से वही  तो बेखबर निकला
ज़माने में बिक़े हर चीज़,, जाने क्यों  यह लगता है [मुवाजा ]
कोई पूछे,जरा सोचे दिलो में दर्द कितना पलता  है /////

वेदना नारी की





अंधेरो कि काली छाया से मुझको डर  लगता हे
रावन कि तिरछी नज़रों से ही मुझको डर लगता हे
 मेरा डर नजायज नहीं , जायज पहलू ले बैठा हे
वयवसाय करण कि आंधी  ने मुझे बोझ समझ  के रखा हे


 जीवन का आरम्भ हुआ , संघर्ष तभी से जारी हे
सम्मानो को लड़ती आई हर अबला हर नारी हे
दुःशाशन आबाद हुए जब जब  कान्हा की मांग बड़ी
संसद भी थी मोन पड़ी जब जब नारी बेमौत मरी


नारी तो मरती रहती हे अपने ही चौराए पे
कही दहेज़ और कही तो अपनों की मनमानी पे
कही तेज़ाबो की बूंदे उसका तो जीवन वारे हे
और कही अग्नि की लपटों से ही सवर्ग सिधारे हे  \\\\\\

टिकट





    टिकट की माथापच्ची है.
   बात मेरी तो सच्ची ह 
   टिकट मुझे दिलवाद्ये प्यारे 
   मेरी इमेज न अच्छी है 
   इमेज मेरी जो अच्छी होती 
   तो क्या मै नेता बनता 
  छोड़ शरीफो कि मैफिल 
  मै  क्यों गुंडों में सामिल होता 
  चोर चोर मौसरे भाई कहावत कहलाती है 
  छल कपट के मंजर से सीता लंका को आती है
  जात पात में तुमे बाटकर हमने तो रोटी सेकी
 जब जब आते ही चुनाव ,,
  हमने वादो कि बोटी फेकी
 तुम सडको पर घुट घुट जीते
  ठाट भाट हम रहते है
 तुम तरसो तो बूँद बूँद
  हम भोग भी छपन लेते है
 शैतानो कि टोली भी
  हमसे तो डर कर रहती है
 हम जो रास्ता   काट दिए
 तो बिल्ली घर को लौटी है
मेरा सच न जाने कु कुछ फीका फीका लगता है
मेरी बातो के पीछे गन्घोर अंधेरा दीखता है 

Tuesday, 21 October 2014

ख़्वाब



 

      ये मेरे ख्वाबो के परिंदे रुक जा ,ठहर जा ,,थोड़ा               आराम    तो कर
      फिरे जो तेरे संग संग यह बेचैन दिल ,,इसे थोड़ा              शांत      तो कर
      तेरी आहटों से मचलाहटो का दोर आता हे
      तेरी सुगबुगाहट ओ  से हर गली , हर शहर में शोर            आता हे। \\\      to be cont.                      
                                 

मंजिल




मै चल निकला हु नई मंज़िल की और
नई सोच ,, नई आरज़ू ,,,नई दिशाएं लेकर
पाने उस मुकाम को ,,,जिसका सपना मेरी आँखो में पलता है
जिसको पाने की जिद ने मुझे जिन्दा रख रखा हे
मगर कुछ उन्सुल्झे सवाल अभी भी हे
क्या में यह कर पाउँगा जैसे ख्वाब  हे \\\\\

व्वस्था परिवर्तन की लडाई



धधक धधक तेरा दिल जले ,,,
 लहू को अपनी आंच दे ...
 मान दे सम्मान दे ,,
 तू खुद को सविमान दे ....
 जो हो चुका सो हो चुका ,,,
  तू इक नया इतिहास दे...
 जो दब चुकी आवाज़ है ,,
  उसको तो थोड़ी धार दे 
  वार तुज़ पे हो रहे ,,,
  तू चैन से है क्यों पड़े ....
  खतरे में तेरी जान ,,
   पल पल लुटता इमान है ..
  जो रहनुमा थे ,,,
  आज कल कातिलो में सुम्मार हे 
  चोर सारे बन चुके है ,,
  घर अपना भर चुके है 
 लूटने चले हे अब  तेरे 
  घर की आन को 
 मान को सम्मान को 
  तेरे सविमान को,
 वरना मत कहियो यार 
 यह  दुनिया बेकार है ,,,
 खाने का आकाल है 

 मेरा नेता मालामाल है ,,,,
नौकरी वौकरी  है नहीं 

 ना ही सम्मान है ,,,,,
दवाई कहाँ से लाऊ यारो 

 मेरा बच्चा बीमार है ////

हम से





   हज़ारो आँसुओ को छुपाकर,,,
  होठों से मुस्कुराना कोई हम से सीखे

  दिल में पलते हर इक जख़्म को दबाकर ,,,
,जीना  कोई हम से सीखे

  यू तो रोज गालियां देते हे हम इन नेताओ को
 मगर मौजूदगी में इनकी खुशामत करना कोई हम से सीखे \\\\\\\\\\

.गरीब आदमी








मै कोसता रहता  हू , वो कसीदे पढ़ते है 
मेरी गरीबी को वो गरीबी नहीं मनोदशा कहते है 
जमीं पर न रखे हो पाव जिसने कभी ,
वो क्या समझे हमारी गरीबी को ,,,,
हमें तो अपने कफ़न के लिए भी मोल भाव करने पड़ते हे.............

हंगामा ,





मै कुछ बोलु तो हंगामा ,
न कुछ बोलू तो हंगामा ,
ख्यालो में हे हंगामा ,
सवालो में हे हंगामा ,
दिलो में आग जलती हे ,
तभी उठता हे हंगामा ,
कभी सूरत बदलती है ,
कभी नासूर बनते है ,
यह हंगामे कभी तो खुद ही की भेंट चढ़ते है ,
यह न पूछो या क्यों  कदर बरपा हे हंगामा ,
अगर मकसद हो अच्छा तो तख्तो ताज हिलते है ,

जंग खुद से





यहाँ पे जंग खुद से हे ,,, न बाते कर यहाँ गैरो की। … 
दिलो में दर्द इतना हे ,,,,,,न बाते कर यहाँ गैरो कि… 
दिलो की आरज़ू जब भी जगे,, तब भी लड़े गैरो से,,,,,
मगर कोई जरा सोचे ,,, भिड़े हम खुद से  ही कसे....???????

..मै नहीं,हम





हे तुम्हारी सख़्सियत तब तक , जब तक हम न कुछ बोले… 
हवाए शांत  हे तब तक जब तक हम न कुछ बोले…।  
हमारी खामोशी को तुम सहमति मत समझ लेना। .... 
लगे कितना भी यु  खामोश ,, धरातल शांत नहीं होते। … 


यह दिल डरपोक कितना हे ,, नज़ारे ढूढ ता  हे यो 
सच से सामना न हो,, बहाने ढूढ ता हे यो… 
हे मालूम हर इक को की दिल में आग जलती हे 
व्यवस्था चरमराती हे,,, जब भी साँच ढलती है। ............

चुनाव


लगेगा फिर यू सपनो का इक बाज़ार  दुनिया में 

उठेगा फिर वाह वाही का इक अम्बार दुनिया में 

दुनिया में वही होगे जो कल तक शान से रहते थे 

सत्ता में जो  यू  रहकर, तुजे  बेकार कहते थे 

आज गिड़गिड़ाये गे यो तेरे सामने हर दिन 

तय तुज को करना है , तुजे सपनो में जीना ह… 

या घुट घुट मरते ही तुजे तो यु ही रहना है 

राजनीति

राजनीति करने चले हम ,
 इज़ज़त घर पे रखके 

इज़ज़त का क्या करना ह,
 जब लड़ना है पार्टी के दम पे… 

देश का करना हित नहीं ,
यह अपना फंडा  मैन 

जेब भरे हम नोटों से
 और खादी पहने प्लैन 

सारा इलेक्शन का हे फंडा
करती पार्टी इक दूजे नू नंगा 

आरोप प्रत्यारोप का दौर चलाओ ,
टेबल के नीचे से जीभर के घूस खाओ 

क़नून व्यस्था ऐसी न कुछ होने वाला वाला है 
राजा कलमाड़ी तो छोड़ो ,
 उन दरिंदो [16 dec] को फांसी में न डाला है 

मज़हब पर आरक्षण देकर दंगा खूब भड़काओ 
गलत हुआ अगर तो
 दूजी पार्टी नु आरोप लगाओ 

सीखो इन नेताओ से कितने बड़े कमीने 
 पंच वर्षीय एजेंडा लेकर पहुंचे आप से मिलने 

हे अहिंशा वादी हम,,सबको यही देखाओ 
गलती से कोई आवाज़  उठे
 तो उस पे लाळ  प्डवाआए 

 ईस  कार्रेर में प्यारे अपनी चांदी चांदी हे 
देश को लूटो चाहे जितना
 बस लक्ष्मी आनी आनी हे 

सीखो मेरे विचारो से यह दिल कि सच्चाई हे। 
विकास कि राह में यह एक दलदल खाई ह 

response
हम ह बिजी लोग
 अपने को क्या करना ह 
क्या कर लेगे हम अकेले
 जब थोडा सा ही जीना हे 


सोच बदलिए अपणो
तब व्वयस्था बदलेगी 
विकास कि यह राह

 तब शायद  कुछ  सुधरगी 

Tuesday, 29 July 2014

ak

मै जो बोलू वही बोलने को 
में जेल भेजू सारी मीडिया को 
संघ मेरे रहे इम्मान हे तू 
वरना बेमानो की टोली में तू 


बात ना मानी तो धरना करूँगा 
वोट न दिया मनु ग़दार कहूँगा 
भ्रस्टाचार की बात पुरानी हो गयी 
आब ज़ात पात की बात करूँगा 

                                              to be cont

Saturday, 3 May 2014

दोस्त



कुछ अच्छे दोस्तों की तालाश है
     कही थोक मे मिले तो बता देना।।।।


Saturday, 5 April 2014

               आज वक़्त तेरा है ,  

              ले चल मुझे जहा तेरी मर्ज़ी करे 

               कल जब मेरा वक़्त होगा,,,

                तू मेरे तेवर देखियो 



Wednesday, 26 March 2014

Save childhood

 Don't exploit childhood

बच्चों को अपनी कल्पनाओ में उड़ने दो
उन्हें अपने जीवन का पैगाम तो चुनने दो

मत थोपो उनपे अपनी जिंदगानी
क्या भूलना चाहते हो उनको उनकी जुबानी

मत भूल है देश का भविष्य यह
इनके अरमानो से ही देश नयी उड़ान उड़ता

उठाओ देश को इनकी ही परिभासा से
ताकि लगे तो सही, यह बच्चे हे कमाल के