Thursday 4 December 2014

Meri virtual duniya


जब जब इस जालिम दुनिया ने मुझे तन्हा किया

तब तब,  अपनी तन्हाइयो संग  मैने इक नयी दुनिया बसा ली।

जहाँ सिर्फ मै हूँ, मै हूँ और सिर्फ मै हूँ

जब मुस्कुराना चाहता हूँ,तो यादो का मुख मोड़ लेता हूँ

और जब मुरझाना चाहता हूँ, तो कल की सोच लेता हूँ

खुश हूँ या दुखी हूँ,नहीं जानता

पर तसल्ली इस बात की है,क़ि जहाँ हूँ, अकेला नहीं हूँ मै

मेरे संग मेरी रुस्वाईया,तन्हाईया,यादेँ सब है, नहीं हे तो बस तू,सिर्फ तू।

क्योंकि इक तू ही तो है जिसने मुझे ख़ुदग़र्ज़ बनाया

मेरे हर एमोशन्स (emotion) को smiley से समझाया

....तू ही तो हे जिसने व्यर्थ की बातो से मुझको उलझाया

अरे!तू ही तो हे जिसने मुझे इस सच्ची दुनिया का सच्चा इन्शान बनाया।

ताब्दील्या बहुत हे आई तुझसे मिलने के बाद

पहले रोता था, अब मुस्कुराता हूँ, बिछड़ने के बाद

पहले जो था, सो था ,अब  चहेरे बदलता हूँ, हरेक से मिलने के बाद

मदत ,मदत तो मै पहले भी करता था ,गरेओ की,

बस अब नाम याद रखता हूँ मद्त करने के बाद।।।।।।

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