inking my emotions
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Tuesday, 21 October 2014
ख़्वाब
ये मेरे ख्वाबो के परिंदे रुक जा ,ठहर जा ,,थोड़ा आराम तो कर
फिरे जो तेरे संग संग यह बेचैन दिल ,,इसे थोड़ा शांत तो कर
तेरी आहटों से मचलाहटो का दोर आता हे
तेरी सुगबुगाहट ओ से हर गली , हर शहर में शोर आता हे। \\\ to be cont.
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