Tuesday, 21 October 2014
व्वस्था परिवर्तन की लडाई
धधक धधक तेरा दिल जले ,,,
मान दे सम्मान दे ,,
तू खुद को सविमान दे ....
जो हो चुका सो हो चुका ,,,
तू इक नया इतिहास दे...
जो दब चुकी आवाज़ है ,,
उसको तो थोड़ी धार दे
वार तुज़ पे हो रहे ,,,
तू चैन से है क्यों पड़े ....
खतरे में तेरी जान ह,,
पल पल लुटता इमान है ..
जो रहनुमा थे ,,,
आज कल कातिलो में सुम्मार हे
चोर सारे बन चुके है ,,
घर अपना भर चुके है
लूटने चले हे अब तेरे
घर की आन को
मान को सम्मान को
तेरे सविमान को,
वरना मत कहियो यार
यह दुनिया बेकार है ,,,
खाने का आकाल है
मेरा नेता मालामाल है ,,,,
नौकरी वौकरी है नहीं
ना ही सम्मान है ,,,,,
दवाई कहाँ से लाऊ यारो
मेरा बच्चा बीमार है ////
मान दे सम्मान दे ,,
तू खुद को सविमान दे ....
जो हो चुका सो हो चुका ,,,
तू इक नया इतिहास दे...
तू इक नया इतिहास दे...
जो दब चुकी आवाज़ है ,,
उसको तो थोड़ी धार दे
वार तुज़ पे हो रहे ,,,
तू चैन से है क्यों पड़े ....
खतरे में तेरी जान ह,,
पल पल लुटता इमान है ..
जो रहनुमा थे ,,,
आज कल कातिलो में सुम्मार हे
आज कल कातिलो में सुम्मार हे
चोर सारे बन चुके है ,,
घर अपना भर चुके है
लूटने चले हे अब तेरे
घर की आन को
घर की आन को
मान को सम्मान को
तेरे सविमान को,
वरना मत कहियो यार
यह दुनिया बेकार है ,,,..मै नहीं,हम
हे तुम्हारी सख़्सियत तब तक , जब तक हम न कुछ बोले…
हमारी खामोशी को तुम सहमति मत समझ लेना। ....
लगे कितना भी यु खामोश ,, धरातल शांत नहीं होते। …
यह दिल डरपोक कितना हे ,, नज़ारे ढूढ ता हे यो
सच से सामना न हो,, बहाने ढूढ ता हे यो…
हे मालूम हर इक को की दिल में आग जलती हे
व्यवस्था चरमराती हे,,, जब भी साँच ढलती है। ............
राजनीति
राजनीति करने चले हम ,
इज़ज़त घर पे रखके
इज़ज़त घर पे रखके
इज़ज़त का क्या करना ह,
जब लड़ना है पार्टी के दम पे…
जब लड़ना है पार्टी के दम पे…
देश का करना हित नहीं ,
यह अपना फंडा मैन
यह अपना फंडा मैन
जेब भरे हम नोटों से
और खादी पहने प्लैन
और खादी पहने प्लैन
सारा इलेक्शन का हे फंडा
करती पार्टी इक दूजे नू नंगा
करती पार्टी इक दूजे नू नंगा
आरोप प्रत्यारोप का दौर चलाओ ,
टेबल के नीचे से जीभर के घूस खाओ
टेबल के नीचे से जीभर के घूस खाओ
क़नून व्यस्था ऐसी न कुछ होने वाला वाला है
राजा कलमाड़ी तो छोड़ो ,
उन दरिंदो [16 dec] को फांसी में न डाला है
उन दरिंदो [16 dec] को फांसी में न डाला है
मज़हब पर आरक्षण देकर दंगा खूब भड़काओ
गलत हुआ अगर तो
दूजी पार्टी नु आरोप लगाओ
दूजी पार्टी नु आरोप लगाओ
सीखो इन नेताओ से कितने बड़े कमीने
पंच वर्षीय एजेंडा लेकर पहुंचे आप से मिलने
हे अहिंशा वादी हम,,सबको यही देखाओ
गलती से कोई आवाज़ उठे
तो उस पे लाळ प्डवाआए
तो उस पे लाळ प्डवाआए
ईस कार्रेर में प्यारे अपनी चांदी चांदी हे
देश को लूटो चाहे जितना
बस लक्ष्मी आनी आनी हे
बस लक्ष्मी आनी आनी हे
सीखो मेरे विचारो से यह दिल कि सच्चाई हे।
विकास कि राह में यह एक दलदल खाई ह
response
हम ह बिजी लोग
अपने को क्या करना ह
अपने को क्या करना ह
क्या कर लेगे हम अकेले
जब थोडा सा ही जीना हे
जब थोडा सा ही जीना हे
सोच बदलिए अपणो
तब व्वयस्था बदलेगी
तब व्वयस्था बदलेगी
विकास कि यह राह
तब शायद कुछ सुधरगी
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