Tuesday, 13 January 2015

Garib

मुफ़्लासि की कीमत हमने बहुत हे चुकाई
तेरे हर झूठे वादे पे हे अपनी जान लुटाई
लेकिन बस अब बहुत हुई भरपाई
सत्ता के गलियारों में देगी इसबार हमारी धमक सुनाई।

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