तेरे चेहरे से नज़र नहीं हटती, नाज़रे हम क्या देखे
तुझसे मिल के भी प्यास नहीं बुझती,
नाज़रे हम क्या देखे।
यह सिर्फ हिट फ़िल्म की लाइने नहीं है, बल्कि आज यह यह लाइने हकीकत तब बन गयी, जब आज मै पहली बार अपने नन्हे भाई से मिला।इस खूबसूरत , प्यारी और अदभुत दुनिया को और भी प्यारी और खूबसूरत बनाने के लिए वो इस दुनिया में तो 6 महीने पहले ही आ गया था, पर मेरी दुनिया में उसका गृह प्रवेश आज हुआ था, आज काफी अरसे बाद हमारी दौड़ती हुई जिंदगी ठहर गयी थी, सब के चेहरे पे एक मुस्कान थी, सब में एक होड़ लगी थी उसको प्यार करनी की, उसको खिलने की, अपने हाथो के बने झूले में उसको खिलने की, और जो मेरी तरह थे , वो इस जल्दी में थी की कितने जल्दी इसके साथ सेल्फ़ी खीज के fb पे अपडेट किया जाये, उस अकेले ने आज मेरे पुरे परिवार को एक धागे में बाँध दिया था। सब आज खुल के हँस रहे थे , अपने बचपन की यादो को ताज़ा कर रहे थे, या यह कहा जाये की उसके सहारे अपने बचपन को जी रहे थे, तो कुछ भी अतिसोक्ति नहीं होगी, नाम उसका अभी तक नहीं पड़ा था पर आज गुमनामी की मै जी रहा था, सभी उसको प्यार करने में लगे थे और मै अकेला अपनी बारी का इंतिज़ार कर रहा था,एक अजीब सा तेज था उसमे , जिसके बारे में लिख पाना मुमकिन नहीं पर हां उसको देखते ही एक तस्वीर जरूर बन गयी है मन में, उसको खिलाने में तो खूब माज़ा आता है पर एक डर लगा रहता है की कही सुसु न कर दे, वर्ना बदनामी हो जाती हे,।
आज कल मेरे मन ने ख्याल खूब आते हे पर शब्द् कम पढ़ जाते हे लिखने को, लिखुगा कभी उसके बारे में खुल कर, पर अभी नहीं क्योंकि वक़्त नहीं मिलता उससे....
.थैंक गॉड फॉर सुच अ नीइस गिफ्ट।
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