inking my emotions
A place of pouring emotions
Tuesday 21 October 2014
.गरीब आदमी
मै कोसता रहता हू , वो कसीदे पढ़ते है
मेरी गरीबी को वो गरीबी नहीं मनोदशा कहते है
जमीं पर न रखे हो पाव जिसने कभी ,
वो क्या समझे हमारी गरीबी को ,,,,
हमें तो अपने कफ़न के लिए भी मोल भाव करने पड़ते हे.............
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