Saturday 8 November 2014

अधूरा- सच


यू तो बात करते हे सभी अपने आदर्शो  कि
मगर पूरी  नहीं होती जब भी बात हो सच्ची
जाने  किन खयालो में यो रहते हे खुदा जाने
तमना हर किसी कि हर समय पूरी नहीं होती। ……………………


न सोचा था  कभी एक दिन की मौसम भी आएगा 
कूड़े के यू ढेरो से कोई रोटी चुराएगा 
वजह से जिनकी  जिंदगी आबाद हे इस ज़माने में [किसान ]
यही देखो सबक हमको जीवन अंत सीखते है


जिसे चाहा ,,जिसे पूजा वही  तो बेवफा निकला
सहीदो  कि शहादत से वही  तो बेखबर निकला
ज़माने में बिक़े हर चीज़,, जाने क्यों  यह लगता है [मुवाजा ]
कोई पूछे,जरा सोचे दिलो में दर्द कितना पलता  है /////

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