inking my emotions
A place of pouring emotions
Friday 21 November 2014
क़ुर्बानी
यह वक़्त की नजाकत है ,,, या मेरे कर्मो का पाप
जिस जीज को चाहू मै वो साली दूर चली जाती है
इसलिये तो तुझे कभी नहीं कहा मेने अपना
तू रुस्वा ही सही पर पास तो रहती हे।
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