inking my emotions
A place of pouring emotions
Tuesday 21 October 2014
मंजिल
मै चल निकला हु नई मंज़िल की और
नई सोच ,, नई आरज़ू ,,,नई दिशाएं लेकर
पाने उस मुकाम को ,,,जिसका सपना मेरी आँखो में पलता है
जिसको पाने की जिद ने मुझे जिन्दा रख रखा हे
मगर कुछ उन्सुल्झे सवाल अभी भी हे
क्या में यह कर पाउँगा जैसे ख्वाब हे \\\\\
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